Skip to main content

महिलाओं की सुरक्षा

  महिलाओं की सुरक्षा 


हम सभी जानते है की हमारा देश हिंदुस्तान पूरे विश्व में अपनी अलग रीती रिवाज़ तथा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।


 भारत में प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है की यहाँ महिलाओं को समाज में विशिष्ट आदर एवं सम्मान दिया जाता है।


 भारत वह देश है जहाँ महिलाओं की सुरक्षा और इज्ज़त का खास ख्याल रखा जाता है।


 भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। अगर हम इक्कीसवीं सदी की बात करे तो महिलाएं हर कार्यक्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला काम कर रही है चाहे वो राजनीति, बैंक, विद्यालय, खेल, पुलिस, रक्षा क्षेत्र, खुद का कारोबार हो या आसमान में उड़ने की अभिलाषा हो।



हम यह तो नही कह सकते की हमारे देश में महिला सुरक्षा को लेकर कोई मुद्दा नहीं है परन्तु हम कुछ सकारात्मक बिंदुओ को अनदेखा भी नहीं कर सकते।


 अगर हम अपने इतिहास पर नज़र डाले तो हम देखते है की उस ज़माने में पांचाली प्रथा होती थी जिसके तहत एक महिला (द्रौपदी) को पाँच पुरुषों (पांडव) से विवाह करने की अनुमति दी गई थी। ये तो वो तथ्य है जो हम सब जानते है परंतु अगर पर्दे के पीछे की बात की जाये तो दफ्तरों, घरों, सड़को आदि पर महिलाओं पर किये गए अत्याचारों से अनजान है।


 पिछले कुछ समय में ही महिलाओं पर तेज़ाब फेंकना, बलात्कार, यौन उत्पीड़न जैसी वारदातों में एकाएक वृद्धि आई है। इन घटनाओं को देखने के बाद तो लगता है की महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है।


महिला सुरक्षा के मायने बहुत अहम फिर चाहे वह घर पर हो, घर से बाहर या फिर दफ्तर में हो।


 महिलाओं पर किये अपराधों का उदाहरण ले, खास कर बलात्कार, तो ये इतने भयावह और डरावने थे की आम आदमी की रूह तक कांप जाए। इन्हीं घटनाओं के कारण महिला सुरक्षा संदेहात्मक स्थिति में पड़ती दिख रही है। ने



क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ो पर नज़र डाली जाये तो महिलाओं पर किये सबसे ज्यादा अपराध वर्ष 2000 (4037 मामले) में चेन्नई में दर्ज किये गए।


दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई महिला सुरक्षा के मामले में सबसे बदनाम शहर है।

 

उसके बाद अपराध में थोड़ी कमी देखी गई और 2013 में सिर्फ 838 मामले दर्ज हुए। यह अब तक की महिला अपराध में दर्ज की गयी सबसे बड़ी गिरावट थी। पर अगर दिल्ली की बात करे तो यहाँ स्थिति चेन्नई से थोड़ी अलग है। साल 2000 में दिल्ली में महिला अपराध से जुड़े 2,122 मामले दर्ज हुए जबकि 2013 में ये आंकड़ा 11,449 था।



अगर हम विस्तृत रूप से महिलाओं के बढ़ते शोषण और पुलिस थाने में दर्ज हुए मामलों पर नज़र डाले तो जिन श्रेणियों में अपराध दर्ज किये गए उनमे मुख्य थी बलात्कार, दहेज़ हत्या, घर या दफ्तर में यौन उत्पीड़न, अपहरण, किसी को फुसला या धमका कर भगा ले जाना, ससुराल वालों द्वारा की गई क्रूरता और सेक्स के व्यापर में धकेलना।



पिछले कुछ सालों में दिल्ली के अंदर महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध ने सारी हदें पर कर दी है। अगर आंकड़ो पर भरोसा किया जाए इससे यही पता चलता है की एक साल में अमूमन हर तीन में से दो महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार होती है। यही मुख्य कारण है जिस वजह से पुलिस महिलाओं में अपना विश्वास खोती जा रही है। 



दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के करवाये गए सर्वेक्षण में यह पाया गया की औसतन 100 में से 80 महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है।


यह जरुरी नहीं की महिला उत्पीड़न सिर्फ देर शाम या रात्रि में ही हो बल्कि घर पर किसी परिजन के द्वारा या दफ्तर में साथ काम करने वाले सहभागी द्वारा भी ऐसे चकित करने वाले मामले उजागर हुए है।


 एक गैर सरकारी संस्था द्वारा किये गए सर्वे में यह पाया गया की इन बढ़ते अपराधों पीछे मुख्य कारण था काम करने वाली जगह में आपसी सहयोग की कमी, ना के बराबर पुलिस सेवा, खुलेआम शराब का सेवन, नशे की लत एवं शौचालयों की कमी।


अब अगर महिलाओं की बात की जाए तो उनकी संख्या का एक बड़ा हिस्सा इस तर्क पर ना के बराबर विश्वास करता है की पुलिस इन बढ़ते हुए अपराधों पर लगाम लगा पाएगी। इसलिए इस तरफ अब ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे महिला अपराध के बढ़ते मामलों पर काबू पाया जा सके और महिलाएं भी अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हुए पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलकर देश को विकसित एवं समृद्ध बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दे सके।


यह बात तो सौ प्रतिशत सच है कि भारतीय समाज में महिला को देवी लक्ष्मी के सामान पूजा जाता है। पर महिलाओं के प्रति नकारात्मक पहलू को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत में गुजरते एक एक पल में महिला का हर स्वरुप शोषित हो रहा है फिर चाहे वो माँ हो, बेटी हो, बहन हो, पत्नी हो या 5-7 साल की छोटी बच्ची ही क्यों न हो। हर जगह नाबालिग लड़कियों से छेड़छाड़ की जा रही है। उन्हें परेशान किया जा रहा है। राह चलते फब्तियां कसी जा रही है। सड़के, सार्वजनिक स्थल, रेल, बस आदि असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए है।


स्कूल तथा कॉलेज जाने वाली छात्रायें भय के साये में जी रही है। जब भी वे घर से बाहर निकलती है तो सिर से लेकर पैर तक ढकने वाले कपडे पहनने को मजबूर है। इससे भी अजीब बात तो यह है की कई जगहों पर ऐसा भी देखा गया है माँ-बाप पैसे के लालच में अपनी ही बेटी को वैश्यावृति के नरक में धकेल देते है।


 राह चलती लड़की पर तेज़ाब फेंकना और शारीरिक संबंध की इच्छा को पूरा करने के लिए किसी का भी अपहरण करना आम बात हो गई है। आंकड़ो के अनुसार भारत में हर 20 मिनट में एक औरत से बलात्कार होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में तो और भी बुरे हालात है। बलात्कार के आरोपी कई बार जान पहचान यहाँ तक घर का ही कोई सदस्य निकलता है। दहेज़ के लिए जलाया जाना, सास-ससुर द्वारा पीटा जाना जैसी घटनाएँ तो रोज़ की बात हो गई है। निर्भय सामूहिक बलात्कार केस जिसने पूरे देश को झकझोर के रख दिया उसे कौन भूल सकता है। महिलाओं की संख्या देश की कुल जनसंख्या की आधी है। इसका मतलब वे देश के विकास में भी आधी भागीदार है। उसके बावजूद 21वीं सदी में हिंदुस्तान में ऐसी घटनाओं का होना हमारी संस्कृति को केवल शर्मसार ही करता है।


प्रस्तावना

महिलायों की सुरक्षा अपने आप में ही बहुत विस्तृत विषय है। पिछले कुछ सालों में महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचारों को देखकर हम यह तो बिलकुल नहीं कह सकते की हमारे देश में महिला पूर्ण तरीके से सुरक्षित है। महिलाएं अपने आपको असुरक्षित महसूस करती है खास तौर पर अगर उन्हें अकेले बाहर जाना हो तो। यह वाकई हमारे लिए शर्मनाक है की हमारे देश में महिलाओं को भय में जीना पड़ रहा है। हर परिवार के लिए उनकी महिला सदस्यों की सुरक्षा चिंता का मुद्दा बन चुका है। अगर महिला सुरक्षा में कुछ सुधार करने हो तो नीचे कुछ तथ्य दिए है जिन्हें ध्यान में रखते हुए हम समाज में बड़ा बदलाव ला सकते है:-



महिला सुरक्षा से जुड़े कुछ सुझाव

सबसे पहले हर महिला को आत्म-रक्षा करने की तकनीक सिखानी होगी तथा उनके मनोबल को भी ऊँचा करने की जरुरत है। इससे महिलाओं को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में किसी तरह की परेशानी महसूस नही होगी।

अक्सर ऐसा देखा गया कि महिलाएं स्थिति की गंभीरता को किसी भी पुरुष की बजाए जल्दी भांप लेती है। अगर उन्हें किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका लगती है तो उन्हें जल्द ही कोई ठोस कदम उठा लेना चाहिए।

महिलाओं को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की वे किसी भी अनजान पुरुष के साथ अकेले में कही न जाये। ऐसे हालात से उन्हें अपने आप को दूर ही रखना चाहिए।

महिलाओं को कभी भी अपने आप को पुरुषों से कम नही समझना चाहिए फिर चाहे वह मानसिक क्षमता की बात हो या फिर शारीरिक बल की बात हो।

महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वे इंटरनेट या किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा किसी भी तरह के अनजान व्यक्ति से बातचीत करते वक्त सावधान रहे और उन्हें अपना किसी भी तरह का निजी विवरण न दे।

महिलाओं को घर से बाहर जाते वक़्त हमेशा अपने साथ मिर्च स्प्रे करने का यंत्र रखना चाहिए। हालाँकि ऐसा जरुरी भी नहीं की इसी पर पूरी तरह निर्भर रहें वे किसी और विकल्प का भी इस्तेमाल कर सकती है।

अपने आप को विपरीत परिस्थिति में गिरता देख महिलाएं अपने फ़ोन से इमरजेंसी नंबर या किसी परिजन को व्हाट्सएप्प भी कर सकती है।

किसी भी अनजान शहर के होटल या अन्य जगह रुकना हो तो वहाँ के स्टाफ के लोगो तथा बाकी चीज़ो की सुरक्षा को पहले ही सुनिश्चित कर ले।


निष्कर्ष

महिला सुरक्षा एक सामाजिक मसला है, इसे जल्द से जल्द सुलझाने की जरुरत है। महिलाएं देश की लगभग आधी जनसँख्या है जो शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से पीड़ित है। यह देश के विकास तथा तरक़्क़ी में बाधा बन रहा है।




प्रस्तावना

पिछले कुछ वर्षो में महिला सुरक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसके पीछे कारण है लगातार होते अपराधों में इजाफ़ा। मध्यकालीन युग से लेकर 21वीं सदी तक महिलाओं की प्रतिष्ठा में लगातार गिरावट देखी गयी है। महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार है। वे देश की आधी जनसँख्या का प्रतिनिध्त्वि करती है तथा विकास में भी आधी भागीदार है। इस तर्क को तो कतई नहीं नकारा जा सकता की आज के आधुनिक युग में महिला पुरुषों के साथ ही नहीं बल्कि उनसे दो कदम आगे निकल चुकी है। वे राष्ट्रपति के दफ्तर से लेकर ज़िला स्तर की योजनाओं का आधार बन चुकी है। महिलाओं के बिना दिनचर्या की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं को भी पुरुषों के समान, स्वतंत्र, गौरवमयी जीवन जीने का हक़ है। महिलाओं को लगातार यौन हिंसा, दहेज़ हत्या और मारपीट का शिखर होना पड़ता है। तेज़ाब फेंकना, जबरदस्ती वैश्यावृति करवाना आम बात हो गयी है। ये सब एक सभ्य समाज के लिए बेहद शर्मनाक है।




शिक्षा और आर्थिक विकास

ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं एवं पुरुषों में ज़मीन आसमान का फर्क है जबकि शहरी क्षेत्र में ऐसा नहीं है। इसका कारण है गांव में महिलाओं की कम साक्षरता दर। अगर हम केरल और मिजोरम का उदाहरण ले तो ये अपवाद की श्रेणी में आते है। इन दोनों राज्यों में महिला साक्षरता दर पुरुषों के बराबर है। महिला साक्षरता दर में कमी का मुख्य कारण है पर्याप्त विद्यालयों की कमी, शौचालयों की कमी, महिला अध्यापकों की कमी, लिंग भेदभाव आदि। आंकड़ो के अनुसार 2015 में महिला साक्षरता दर 60.6% थी जबकि पुरुष साक्षरता दर 81.3% थी।



भारत में महिला अपराध

भारत में महिला अपराध की फेहरिस्त देखी जाये तो यह बहुत लंबी है। इसमें तेज़ाब फेंकना, जबरदस्ती वैश्यावृति, यौन हिंसा, दहेज़ हत्या, अपहरण, ऑनर किलिंग, बलात्कार, भ्रूण हत्या, मानसिक उत्पीड़न आदि शामिल है।



महिला सुरक्षा से जुड़े कानून

भारत में महिला सुरक्षा से जुड़े कानून की लिस्ट बहुत लंबी है इसमें चाइल्ड मैरिज एक्ट 1929, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, हिंदू विडो रीमैरिज एक्ट 1856, इंडियन पीनल कोड 1860, मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1861, फॉरेन मैरिज एक्ट 1969, इंडियन डाइवोर्स एक्ट 1969, क्रिस्चियन मैरिज एक्ट 1872, मैरिड वीमेन प्रॉपर्टी एक्ट 1874, मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन एक्ट 1986, नेशनल कमीशन फॉर वुमन एक्ट 1990, सेक्सुअल हर्रास्मेंट ऑफ़ वुमन एट वर्किंग प्लेस एक्ट 2013 आदि।

इसके अलावा 7 मई 2015 को लोक सभा ने और 22 दिसम्बर 2015 को राज्य सभा ने जुवेनाइल जस्टिस बिल में भी बदलाव किया है। इसके अन्तर्गत यदि कोई 16 से 18 साल का किशोर जघन्य अपराध में लिप्त पाया जाता है तो उसे भी कठोर सज़ा का प्रावधान है (खास तौर पर निर्भया जैसे केस में किशोर अपराधी के छूट जाने के बाद)।



निष्कर्ष

कड़े कानूनों के बनाने के बावजूद भी महिला अपराध में कमी के बजाये दिन प्रतिदिन लगातार उछाल देखने को मिल रहा है। समाज में महिलाओं की सुरक्षा गिरती जा रही है। महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है। महिलाओं के लिए गंदे होते माहौल को बदलने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं अपितु हर आम आदमी की है ताकि हर महिला गर्व से अपने जीवन को जी सके।




Comments

Popular posts from this blog

Cyber Crime Scams - Work From Home -

                         Are you a Victim? The Work from Home concept is very attractive for most people, as the advertisements offer huge sums of money for a few hours of simple work. But would you really be paid well for doing nothing much! If it is too good to be true, then it probably is not true ! The modus operandi is usually attractive advertisements on websites, public places and social media. The application procedure involves filling up a form with all your details and you have to purchase a welcome kit. If you refer more people then you get paid a percentage for each reference that materializes, so basically you make other people also fall prey to the scam. The scope of work is mostly like: Envelope stuffing (mailing programs) Assembly work Gifting programs Email processing Rebate processing Repackaging Payment processing Jobs that ask for money to hire you Businesses that don’t have an evident product or service. I you are a victim of a work

COI - 3 CONSTITUITION OF INDIA

 PART I THE UNION AND ITS TERRITORY Formation of new States and alteration of areas, boundaries or names of existing States.— Parliament may by law— (a) form a new State by separation of territory from any State or by uniting two or more States or parts of States or by uniting any territory to a part of any State; (b) increase the area of any State; (c) diminish the area of any State; (d) alter the boundaries of any State; (e) alter the name of any State: 4 [Provided that no Bill for the purpose shall be introduced in either House of Parliament except on the recommendation of the President and unless, where the proposal contained in the Bill affects the area, boundaries or name of any of the States5 , the Bill has been referred by the President to the Legislature of that State for expressing its views thereon within such period as may be specified in the reference or within such further period as the President may allow and the period so specified or allowed has expired.] 6 [Expla

Embracing a Happy New Year: Unleashing the Dream of a Crime-Free World

As the countdown begins for a fresh start, we all eagerly anticipate the arrival of a brand new year. A clean slate that holds a world of possibilities, a chance to reshape our lives and work towards a future filled with joy, prosperity, and above all, safety. Imagine a world where crime is nothing more than a distant memory, a relic of the past. In this blog article, we delve into the concept of a crime-free world and explore ways in which we can collectively make this dream a tangible reality. 1. The Power of Unity: To achieve a crime-free world, unity must be our guiding principle. We must acknowledge that it is not a goal that can be accomplished by a lone hero but by a collective effort from every individual in society. When we stand together against crime, we become an unstoppable force, capable of transforming our communities into safe havens for all. 2. Education as the Key: Crime prevention begins with education. It is imperative that we invest in the education and awareness o